बैठॆ बैठे यूँ ही,खो जाती हूँ,
उस शहर की याद मॆं,जहाँ
बसतीं हैं खुशियाँ और मीठी यादें,
वो प्यारी जगह,जहाँ
प्यार था सबके लिए
ना कोई अपना ना पराया था,
वहा वो मेरे साथ रहता था,हर वक्त,
लॆ जाती थी हाथ पकडकर,स्कूल उसॆ
जब आदत नहीं थी,उसे स्कूल की
झगडना उस सॆ फिर साथ मॆं खॆलना,
मिलकर शैतानी करना,फिर शिकायते करना,
उसे डराया भी,और डाँट से बचाया भी,
समय बदला और हम वहाँ से आगए
अब वो मुझे ले जाता है,जहाँ मुझेजाना हो
झगडे तो अब भी होतेहैं,पर साथ मॆं खॆला नहीं करते
अब हम वहा उस शहर मॆं,जाया नही करते
वो शहर हमारा बचपन था............................
उस शहर की याद मॆं,जहाँ
बसतीं हैं खुशियाँ और मीठी यादें,
वो प्यारी जगह,जहाँ
प्यार था सबके लिए
ना कोई अपना ना पराया था,
वहा वो मेरे साथ रहता था,हर वक्त,
लॆ जाती थी हाथ पकडकर,स्कूल उसॆ
जब आदत नहीं थी,उसे स्कूल की
झगडना उस सॆ फिर साथ मॆं खॆलना,
मिलकर शैतानी करना,फिर शिकायते करना,
उसे डराया भी,और डाँट से बचाया भी,
समय बदला और हम वहाँ से आगए
अब वो मुझे ले जाता है,जहाँ मुझेजाना हो
झगडे तो अब भी होतेहैं,पर साथ मॆं खॆला नहीं करते
अब हम वहा उस शहर मॆं,जाया नही करते
वो शहर हमारा बचपन था............................