ज़िंदगी तू है और एक मैं
समझना तुझे चाहती हूँ,पर
तू मेरी समझ से है दूर, बहुत दूर
कभी छू कर महसूस करना चाहूँ
तो लगता है, तू भाग रही है
तुझे बढ़कर रोकना चाहूँ , तो
लगता है , तू पहले से ही थमी है
हर पल रंग बदलती है, तू
कभी बहुत फीके तो कभी बहुत स्याह
जब भी चाहूँ तेरे रंग में रंगना
उसी समय रंग बदलती है तू...